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बुधवार, 29 जुलाई 2015

प्यारी सी मुस्कान चाहिये

प्यारी सी मुस्कान चाहिये 


ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,


     ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,


         एक चीज माँगते रोज भगवान से,,, 


अपनों के चेहरे पे हर पल,,,


                     प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!

हर रिश्ते में विश्वास रहने दो

हर रिश्ते में विश्वास रहने दो


आँखे' कितनी  अजीब  होती  है, 
जब  उठती  है  तो  दुआ  बन  जाती  है,
जब  झुकती  है  तो  हया  बन  जाती  है,
उठ  के  झुकती  है  तो अदा  बन  जाती  है
झुक  के उठती  है  तो खता  बन  जाती है,
जब  खुलती  है  तो दुनिया  इसे  रुलाती  है,
जब  बंद  होती  है  तो  दुनिया  को  ये  रुलाती है...!!

"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो.

मंगलवार, 28 जुलाई 2015

श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने

श्रद्धेय स्व. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित लाइने

आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।

सेवा तो इण देश री, करी घणी कलाम।
जातोङा हंसला तनै, भारत करै सलाम।।

लिखता तो रोवै कलम, कठै गयो कलाम।
आखर संग कागद करै, आँसू भरया सलाम।।

भारत माता भाल ने कियो ऊंचो कलाम।
फेरु पाछो आवज्ये सादर करूँ सलाम।।

नेह समेत करू नमन मानो मिसाइल मैन।
शब्दा री श्रद्धांजलि टपकन लाग्या नैन।।

आमर सी आशा करो भलो दियो सन्देश।
आज आमर पठाविया झूर झूर रोवे देश।।

धरम जात सूं उपरे मानव मोटो एक।
आज छोड़ चाल्यो अबे नर घणो ओ नेक।।

सीधो सरल सुभाव रो एहडो नर नह और।
करूँ विदा कलाम जी छलकी नैना कौर।।

सोमवार, 27 जुलाई 2015

वक़्त   नहीं

. . . . . एक  प्यारी  सी कविता . . . . .

              " वक़्त   नहीं "

हर  ख़ुशी   है  लोंगों   के  दामन  में,
पर   एक   हंसी  के  लिये  वक़्त  नहीं....

दिन  रात   दौड़ती   दुनिया   में,
"ज़िन्दगी"   के   लिये  ही   वक़्त नहीं......

सारे   रिश्तों  को   तो  हम  मार चुके,
अब   उन्हें   दफ़नाने  का   भी वक़्त  नहीं .....

सारे   नाम   मोबाइल   में   हैं ,
पर   "दोस्ती"   के   लिये   वक़्त  नहीं .....

गैरों   की   क्या   बात.  करें ,
जब   अपनों   के   लिये    ही वक़्त  नहीं......

आखों   में   है   नींद.  भरी ,
पर   सोने   का  वक़्त   नहीं......

"दिल"  है  ग़मो  से  भरा  हुआ ,
पर  रोने  का   भी   वक़्त   नहीं .

पैसों   की  दौड़  में   ऐसे   दौड़े, की,,
थकने   का  भी   वक़्त   नहीं ....

पराये  एहसानों   की  क्या   कद्र  करें ,
जब  अपने   सपनों   के   लिये  ही  वक़्त  नहीं.......

तू   ही   बता  दे  ऐ   ज़िन्दगी ,
इस   ज़िन्दगी   का   क्या  होगा,
की   हर   पल   मरने   वालों  को,,
जीने    के    लिये।  भी    वक़्त  नहीं.... ....

रविवार, 26 जुलाई 2015

चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के

चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के


चना ज़ोर गरम और पकोडे प्याज़ के ...
चार दिन मे सूखेंगे कपड़े ये आज के ...

आलस और खुमारी बिना किसी काज के ...
टर्राएँगे मेंढक फिर बिना किसी साज़ के ...

बिजली की कटौती का ये मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

भीगे बदन और गरम चाय की प्याली ...
धमकी सी गरजती बदली वो काली ...

नदियों सी उफनती मुहल्ले की नाली ...
नयी सी लगती वो खिड़की की जाली ...

छतरी और थैलियों का मौसम आया है ...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

निहत्थे से पौधो पे बूँदो का वार ...
हफ्ते मे आएँगे अब दो-तीन इतवार ...

पानी के मोतियों से लदा वो मकड़ी का तार...
मिट्टी की खुश्बू से सौंधी वो फुहार ...

मोमबत्तियाँ जलाने का मौसम आया है...
हमारे घर आँगन आज सावन आया है ...

शनिवार, 25 जुलाई 2015

शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर

शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर


एक ही विषय पर 5 महान शायरों का नजरिया....

.
1- Mirza Galib :
"शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
2- Iqbal
"मस्जिद ख़ुदा का घर है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"
.
3- Ahmad Faraz
"काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर, खुदा मौजूद है वहाँ, पर उसे पता नहीं।"
.
4- Wasi
"खुदा तो मौजूद दुनिया में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना नहीं।"
.
5- Saqi
"पीता हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

निज पथ की बाधा को

निज पथ की बाधा को 


निज पथ की बाधा को
सहर्ष स्वीकार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

अभिनन्दन कर रहा है
नव्उदित सूर्य तुम्हारा।

पर जीवनरूपी सागर को
पहले तुम पार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

आलस्य,अभिमान,निद्रा का
परित्याग करो तुम ।

प्रेम,मानवता,ईश्वर से
अनुराग करो तुम ।

जग की क्षुद्र वासनाओ का
तुम तिरस्कार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

तुम दिव्यपुरूष हो
निडर,निर्भीक,नि:स्वार्थ बनो।

जीवन रण के अर्जुन तुम
कर्तव्य के परमार्थ बनो।

अपने उद्देश्यो का स्वयं ही
तुम परिष्कार करो।

हे जीवकुल श्रेष्ठ तुम
स्वयं का उद्धार करो।

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...

जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो


जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो...
वरना, बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है....!!

वो बचपन के दिन लौटा दे ऐ खुदा.....
जहाँ न दोस्त का मतलब पता था और न मतलब की दोस्ती....

"उम्र" और "ज़िन्दगी" में बस फर्क "इतना"
जो "दोस्तों" के बिन बीति वो "उम्र"    

और जो दोस्तों के "साथ" "गुज़री" वो "ज़िन्दगी..

गुरुवार, 23 जुलाई 2015

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज   तारीख   बदलती.  है,

रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....
रोज.  समय.  भी    बदलता. है...
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं.....
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...
और  वो  हैं  "हम खुद"....

और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........

किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,

रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,

हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,

ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,

बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,

क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,

जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,

इंसान जाने कहां खो गये है

इंसान जाने कहां खो गये है

अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।

पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे,
खुली किताब नही होते।

सुना है
बिन कहे
दिल की बात
समझ लेते थे।
गले लगते ही
दोस्त हालात
समझ लेते थे।

तब ना फेस बुक
ना स्मार्ट मोबाइल था
ना फेसबुक
ना ट्विटर अकाउंट था
एक चिट्टी से ही
दिलों के जज्बात
समझ लेते थे।

सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये,
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से
समस्या का समाधान
कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान
कहां पूछता है
बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके
अब कौन गुरु के
चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।

परियों की बातें
अब किसे भाती है
अपनो की याद
अब किसे रुलाती है
अब कौन
गरीब को सखा बताता है
अब कहां
कृण्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है
मशीन बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है!

इंसान जाने कहां खो गये है

 
इंसान जाने कहां खो गये है....!!!!

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

रिश्ता वो नहीं होता

रिश्ता वो नहीं होता 


रिश्ता वो नहीं होता जो       
दुनिया को दिखाया जाता है!
रिश्ता वह होता है,जिसे         
दिल से निभाया जाता है!!
अपना कहने से कोई                  
अपना नहीं होताव्,
अपना वो होता है जिसे       
  दिल से अपनाया जाता है !

शनिवार, 18 जुलाई 2015

बेटी की विदाई

बेटी की विदाई


कन्यादान हुआ जब पूरा,आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,सारी रस्म अदाई का ।
बेटी के उस कातर स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया ।।
पूछ रही थी पापा तुमने,क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी,मुझको सदा कहा तुमने ।।
मेरे रोने को पल भर भी ,बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।
क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं ।।
अब मेरे रोने का पापा,तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।
देखो अन्तिम बार देहरी,लोग मुझे पुजवाते हैं ।।
आकर के पापा क्यों इनको,आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ,भैया से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,कोई आता पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन के ,पिता नहीं रह सका खड़ा।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू,बदहवास सा दौड़ पड़ा ।।
कातर बछिया सी वह बेटी,लिपट पिता से रोती थी ।।
जैसे यादों के अक्षर वह,अश्रु बिंदु से धोती थी ।।
माँ को लगा गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में,बैठा बैठा सुबक रहा ।।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर घर ने,जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला बापू,फूट फूट कर रोया है ।।

खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की

एक सुंदर कविता - खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की


खवाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की।
आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।


अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।
क्यों  की  जीसकी  जीतनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे।


ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है,
शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!!


एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,
जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,
और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।

बीड़ी  अब CIGARETTE   बन गयी,

बीड़ी  अब CIGARETTE   बन गयी


बीड़ी  अब
CIGARETTE
  बन गयी,
 
         चटाई
CARPET  बन गयी,

                    मुक्केबाजी
              BOXING बन गयी,

      कुश्ती  हमारी
WRESLING बन गयी,

                    गिल्ली डंडा
              CRICKET बन गया,

          ..हमारा भारत
         GREAT बन गया..

   गाय  हमारी
COW बन गयी,

                    शर्म हया अब
                  WOW बन गयी,

  काढ़ा  हमारा
CHAI बन गया,

                     छोरा बेचारा
                   GUY बन गया,

   कठपुतली अब
PUPPET बन गया,

            ..हमारा भारत
          GREAT बन गया..

          हल्दी  अब
  TURMERIC बन गयी,

                     ग्वारपाठा
              ALOVIRA बन गया,

    योग हमारा
YOGA बन गया,

                     घर का जोगी
                  JOGA बन गया,

भोजन 100 रु.
PLATE बन गया,

         ..हमारा भारत
       GREAT बन गया..

  घर की दीवारेँ
WALL बन गयी,

          दुकानेँ
SHOPING MALLबन गयीँ,

                        गली मोहल्ला
                    WARD बन गया,

    ऊपरवाला
LORD बन गया,

                      रक्षाकवच
                HELMET बन गया,

            ..हमारा भारत
         GREAT बन गया..

  माँ हमारी
MOM बन गयी,

                             छोरियाँ
        ITEM BOMB बन गयीँ,

   पिताजी अब
   DAD बन गये,

                    घर के मालिक
                 HEAD बन गये,
   
          ..हमारा भारत
        GREAT हो गया..

  मनमोहन बिलकुल fail हो गया

    केजरीवाल भी खेल हो गया

      आडवाणी हमेशा के लिए
     P.M. in wait हो गया 

   क्यों की MODI बीजेपी में   
    Heavy wait हो गया.

अच्छे दिनों का सपना
         फिलहाल LATE हो गया,

       MODI फिर भी
      GREAT  हो गया..

  तुलसी की जगह
मनी प्लांट ने ले ली..!

                    चाची की जगह
                    आंटी ने ले ली..!

पिता जी  डेड हो गये..! 
           भाई तो अब ब्रो हो गये..! 
         बेचारी बेहन भी अब
          सिस  हो गयी..!

     दादी की लोरी तो अब
     टांय टांय फिस्स हो गयी..!

टी वी के सास बहू में भी
अब साँप नेवले का रिश्ता है..!
                पता नहीं एकता कपूर
           औरत है या फरिश्ता है..!!!

   जीती जागती माँ बच्चों के
      लिए ममी हो गयी..!

        रोटी अब अच्छी कैसे लगे
मैग्गी जो इतनी यम्मी हो गयी..!

गाय का आशियाना अब
      शहरों की सड़कों पर बचा है..!

             विदेशी कुत्तों ने लोगों के
   कंधों पर बैठकर इतिहास रचा है..!

    बहुत दुखी हूँ ये सब देखकर
          दिल टूट रहा है..!

      हमारे द्वारा ही हमारी
      भारतीय सभ्यता का
       साथ छूट रहा है.....  

           
            एक मेसेज
    भारतीय सभ्यता के नाम....

शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

बेवफाई

बेवफाई

अर्ज़ किया है....

युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....

युं ना किसी के दिल के साथ खेलो.....

जब ग्रुप में मैसेज ही नहीं करना है तो....

स्मार्टफोन बेच कर रेडियो लेलो

Funny poem: पढ़े फ़ारसी बेचें तेल

Funny poem: पढ़े फ़ारसी बेचें तेल 


कलम बुद्दका आले में
टाट-पट्टिका ताले में ।।
ढाबा है विद्यालय में ,
ध्यान बंद शौचालय में ।।
मास्टर जी झमेले में
दिखते खड़े तबेले में ।।
भूसा-चूनी ,चारा काटें
अधिकारी जी ,फ़िर भी डाँटें ।।
सब्ज़ी-चावल रोटी परसें ,
बच्चे पढ़ने को हैं तरसें ।।
आया सरकारी फ़रमान
मास्टर है अवगुण की खान ।।
पड़ा निकम्मा कुर्सी तोड़े
चलो इसे कोल्हू से जोड़ें ।।
बेग़ारी करवाओ इससे
बच्चे न पढ़ पाएँ जिससे ।।
वोट बैंक तैयार रहे
होता अत्याचार रहे ।।
मुँह खोले तो भेजो जेल
शिक्षा के सँग होता खेल ।।
कैसे चले ज्ञान की रेल ।
पढ़े फ़ारसी बेचें तेल ।।

Poem on Wife: वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

मित्रों जीवन की इस तेज रफ्तार व आपाधापी में बहुत कुछ छूट जाता है, जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं - - -

वह लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था -

-----------------------------------------
नहीं मिलती है।
ढूंढता हूँ तो भी,
और नहीं तो भी,
वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

घिरी रहती है तेल नून के चक्करों में।
बच्चों की पढाई या उनकी दवाइयों के schedule में,
मसरूफ सी कोई मिलती तो ज़रूर है
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

जो बिना बात किये रह न पाती थी,
आज कल सिर्फ एक ही सवाल पूछती 'कल tiffin में क्या ले जाओगे?
याद है मुझे वह बातूनी
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था

कतई ऐतियात से काजल लगाने का था शौक़ जिसे,
आजकल दिनों तक बालों के गिरहन भी नहीं सुलझाती,
याद है मुझे वह अल्ल्हड़
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था

नए जूते की मामुली सी खारिश ने रुलाया था जिसे घंटो,
बेपरवाह लेकर घूमती है हाथों पर, रसोई के छाले वह आज,
याद है मुझे वह नाज़ो से पली
पर नहीं मिलती मुझे वो लड़की जिसे से मैं ब्याह के लाया था

लेकिन यह देखा है मैंने,
की ज़िंदगी की हर चीज़ में अपवाद होता है
इतवार की शाम चौक से गुज़रते समय,
जब पानी के बताशों के ठेलों की तरफ देखती है
तो उसकी लालची निगाहों में,
दिख जाती है वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

मैं आज भी अक्सर बैठक के सोफे, पर ही पसर जाता हूँ ।
रात भर ठण्ड में ठिठुरता हूँ,
और सुबह अपने को, ख्याल से डाले हुए कम्बल में ढका पाता हुँ.
सुबह की हड़बड़ी में शरारत से ही सही पर पूछता ज़रूर हूँ
आखिर पिछली रात किसने की थी मेहरबानी;
और फिर उसकी दबी सी लज भरी हंसी में आखिर
पा ही जाता हूँ वो लड़की जिसे मैं ब्याह के लाया था

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

अंतिम यात्रा

अंतिम यात्रा


किसी शायर ने अंतिम यात्रा
का क्या खूब वर्णन किया है.....
   
था मैं नींद में और. 
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....

बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था....

ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर
में....

बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा
था....

था पास मेरा हर अपना
उस
वक़्त....

फिर भी मैं हर किसी के
मन
से
भुलाया जा रहा था...

जो कभी देखते
भी न थे मोहब्बत की
निगाहों
से....

उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर
लुटाया जा रहा था...

मालूम नही क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर....

जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...

काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर....
.
जहाँ मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जा रहा था....
.
मोहब्बत की
इन्तहा थी जिन दिलों में
मेरे
लिए....
.
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!

    लाजवाब लाईनें

इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,

लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।

पलकों तले भी दिल धड़कता है

पलकों तले भी दिल धड़कता है


लोगों ने रोज़ ही नया कुछ माँगा खुदा से
एक हम ही हैं तेरे ख्याल से आगे न गये............


तुम्हारे भरोसे से ही चलती हे मेरी साँसे
हो सके तो तुम मेरी साँसों का ख्याल रखना............


⚽उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है.............


काटो के बदले फूल क्या दोगे आँसू के बदले खुशी क्या दोगे हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे...........


❤ अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का दीवानगी इस से बढकर और क्या होगी आज भी इंतजार है तेरे आने का............


बस जीने ही तो नहीं
देगी,
और कया कर लेगी याद तेरी..........


⚫आँसुओँ का कोई वजन नही होता दोस्त.पर ना जाने इनके गीर जाने से मन हल्का क्युँ होजाता है............


कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….........


☝तेरा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से☝कोई भी लफ्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं........
मुझे ये दिल की बीमारी ना होती


अगर तू इतनी प्यारी नहीं होती...........


बस यही दो मसले ज़िन्दगी भर ना हल हुए।
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब मुकम्मल हुए।
वक़्त ने कहा, काश थोड़ा और सब्र होता। सब्र ने कहा काश थोड़ा और वक़्त होता.........


मेरी हर गलती ये सोच कर माफ़ कर देना दोस्तों
कि तुम  कोन से शरीफ़ हो...........


कभी फुरसत मिलें तो सोचना जरूर की ऐक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था..!!........


हर दिन अपनी ज़िन्दगी को एकनया ख्वाब दो
चाहे पूरा ना हो पर आवाज़ तो दो
पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे
सिर्फ एक शुरुआत तो दो...........


मैं जब सो जाऊं इन आँखों पे अपने होंठ रख देना यकीं आ
जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है....

बुधवार, 15 जुलाई 2015

आगे सफर था और पीछे हमसफर था....

आगे सफर था और पीछे हमसफर था


आगे सफर था और पीछे हमसफर था....
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम सफर छूट जाता...

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता...उस वक्त मैं कहाँ जाता...

मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....

यूँ समँझ लो....

प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते...
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!

सोमवार, 13 जुलाई 2015

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती


सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,
फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये।

रविवार, 12 जुलाई 2015

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ

नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ


नाम छोटा है मगर दिल बडा रखता हूँ|
पैसो से उतना अमीर नही हूँ, 

मगर अपने यारो के गम खरिदने की हैसयत रखता हूँ|
मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना है 

ना रानी का बादशाह, हम जोकर ही अच्छे हैं, 

जिस के नसीब में आऐंगे बाज़ी पलट देंगे।
किसी रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तो, 

दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं...!!

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत कम दोस्त है ज़माने में.........


बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है.....
2 वक़्त की रोटी कमाने में....

शनिवार, 11 जुलाई 2015

शब्द जब काटते है

शब्द जब काटते है  

शब्दों के दांत नहीं होते है
      लेकिन शब्द जब काटते है  
        तो दर्द बहुत होता है
और   
कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की
              जीवन समाप्त  हो जाता है
                परन्तु घाव नहीं भरते.............

इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों

'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे,
'शब्द' के हाथ न पांव;

एक 'शब्द' 'औषधि" करे,
और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!

"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा..,
जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..!

प्रभू' को भी पसंद नहीं
'सख्ती' 'बयान' में,
इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...!
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,

एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।

और....

जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।

जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।

और….

जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।

जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.

दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...  
  क्योकि वो कठोर होते है।

छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।

"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।

विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।

साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।

किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।

एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"

शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

मंजिल ना मिले

मंजिल ना मिले 

मंजिल ना मिले वंहा तक

 हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो...


क्यों की पहाड़ से निकलने वाली नदियों ने 

आज तक रास्ते में किसीको नहीं पूछा के


भाई समन्दर कितना दूर है?

आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

आगे सफर था और पीछे हमसफर था


आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..

मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..

ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...

मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था

रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....

यूँ समँझ लो,

प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

शरीर को चंगा रखो

शरीर को चंगा रखो


शरीर को चंगा रखो
दिमाग़ को ठंडा रखो
जेब को गरम रखो
आँखों में शरम रखो
जुबान को नरम रखो
दिल में रहम रखो
क्रोध पर लगाम रखो
व्यवहार को साफ़ रखो
होटो पर मुस्कुराहट रखो
फिर स्वर्ग मे जाने की
क्या जरूरत, यहीं स्वर्ग है
स्वस्थ रहो......व्यस्त रहो.
....अपने ग्रुप मे... मस्त रहो.....

यह रिश्ता बड़ा निराला

यह रिश्ता बड़ा निराला


..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


एक को है किसी ने
दूजे को किसी ने पाला
फिर भी दोनों संग है रहते
संग हँसते हैं संग रोते हैं
दुनिया में यह दस्तूर
है किस ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


इक दूजे को प्यार है करते
कभी कभी तकरार भी करते
छोड़ जाने की बात भी करते
बच्चों की दुहाई देते
पर न निकले पति ही घर से
न पत्नी को किसी ने निकाला
..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला


रिश्ता है यह सब से ऊपर
सब रिश्ते में यह है सुपर
पति बिन पत्नी न रहती
उसकी न जुदाई सहती
पत्नी बिन भी पति न रहता
सुख दुःख उस के संग है सहता
रिश्ता उस का चले उम्र भर
जिसने इसे संभाला


..........पत्नी और पति का
..........यह रिश्ता बड़ा निराला

मंगलवार, 7 जुलाई 2015

बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!

बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए


बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!

वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है 

और "किस्मत" महलों में राज करती है!!
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

रविवार, 5 जुलाई 2015

तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया

तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया 










तजुर्बे ने हमको खामोश रहना सिखाया
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता...

“ कुत्ते भोंकते है अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए,
मगऱ..
जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बंयाँ करता है ”

हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी

हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी,
हर कोई खुश रहे, यह चाहत है मेरी,
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे,
लेकिन हर अपने को याद करना आदत है मेरी.

दिलकी देहरी से

❤❤ दिलकी देहरी से ❤

सफल इनके वो सारे प्रयास हो गये
कुछ चेहरे और ज्यादा उदास हो गये

जो कर रहे थे हमसे बातें आम की
लोग वही सबसे पहले खास हो गये

नींद रात भर आँखों से छिपती फिरी
सपने भी सुबह तक निराश हो गये

जब देखी उसके हाथ में  दियासलाई
हम खुशी खुशी से सूखी घास होे गये

ऐ जिन्दगी ! तेरी इस ज़द्दोज़हद में
कितने ही लोग बेवक्त लाश हो गये

सच कहूँ भी तो बताओ  कैसे कहूँ
लफ़्ज़ तमाम मेरे  लबतराश हो गये

दिल की बात दिल तक कहाँ जाती है
पत्थरों से सख्त सब अहसास हो गये

�� रतनसिहं चम्पावत कृत ��

शनिवार, 4 जुलाई 2015

जाने क्यूं

जाने क्यूं - अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते।

जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।

पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।

जाने क्यूं
अब चेहरे, खुली किताब नही होते।

सुना है
बिन कहे
दिल की बात समझ लेते थे।

गले लगते ही
दोस्त हालात समझ लेते थे।

जब ना फेस बुक थी
ना व्हाटस एप था
ना मोबाइल था

एक चिट्ठी से ही
दिलों के जज्बात समझ लेते थे।

सोचता हूं
हम कहां से कहां आ गये।
प्रेक्टीकली सोचते सोचते
भावनाओं को खा गये।

अब भाई भाई से
समस्या का समाधान कहां पूछता है
अब बेटा बाप से
उलझनों का निदान कहां पूछता है

बेटी नही पूछती
मां से गृहस्थी के सलीके।

अब कौन गुरु के चरणों में बैठकर
ज्ञान की परिभाषा सीखे।

परियों की बातें
अब किसे भाती है

अपनो की याद
अब किसे रुलाती है

अब कौन
गरीब को सखा बताता है

अब कहां
कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

जिन्दगी मे
हम प्रेक्टिकल हो गये है

रोबोट बन गये है सब
इंसान जाने कहां खो गये है.......!!!

शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

हिंदी बोलने का शौक

मुझे भी आज
हिंदी बोलने का शौक हुआ,

घर से निकला और
एक ऑटो वाले से पूछा,

"त्री चक्रीय चालक
पूरे नगर के परिभ्रमण में
कितनी मुद्रायें व्यय होंगी ?"

ऑटो वाले ने कहा,
"अबे हिंदी में बोल रे.."

मैंने कहा,
"श्रीमान
मै हिंदी में ही
वार्तालाप कर रहा हूँ।"

ऑटो वाले ने कहा,
"मोदी जी
पागल करके ही मानेंगे ।
चलो बैठो
कहाँ चलोगे ?"

मैंने कहा,
"परिसदन चलो"

ऑटो वाला फिर
चकराया !
"अब ये
परिसदन क्या है ?

बगल
वाले श्रीमान ने कहा,
"अरे
सर्किट हाउस जाएगा"

ऑटो वाले ने
सर खुजाया बोला,
"बैठिये प्रभु"

रास्ते में मैंने पूछा,
"इस नगर में
कितने छवि गृह हैं ??"

ऑटो वाले ने कहा,
"छवि गृह मतलब ??"

मैंने कहा,
"चलचित्र मंदिर"

उसने कहा,
"यहाँ बहुत मंदिर हैं ...
राम मंदिर,
हनुमान मंदिर,
जगन्नाथ मंदिर,
शिव मंदिर"

मैंने कहा,
"भाई
में तो चलचित्र मंदिर की
बात कर रहा हूँ
जिसमें
नायक तथा नायिका
प्रेमालाप करते हैं ..."

ऑटो वाला
फिर चकराया,

"ये चलचित्र मंदिर
क्या होता है ??"

यही सोचते सोचते
उसने सामने वाली गाडी में
टक्कर मार दी

ऑटो का
अगला चक्का
टेढ़ा हो गया

मैंने कहा,
"त्री चक्रीय चालक
तुम्हारा अग्र चक्र तो
वक्र हो गया ..."

ऑटो वाले ने
मुझे घूर कर देखा
और कहा,
"उतर जल्दी उतर !

चल ...
भाग यहाँ से"

तब से
यही सोच रहा हूँ
अब और
हिंदी बोलूं
या नहीं ... ???

||   हिंदी पखवाड़ा   ||

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती

सौ गुना बढ़ जाती है खूबसूरती,
महज़ मुस्कराने से,

फिर भी बाज नही आते लोग,
मुँह फुलाने से ।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहीये.

कोर्ट मार्शल


कोर्ट मार्शल"
------------

आर्मी कोर्ट रूम में आज एक
केस अनोखा अड़ा था
छाती तान अफसरों के आगे
फौजी बलवान खड़ा था

बिन हुक्म बलवान तूने ये
कदम कैसे उठा लिया
किससे पूछ उस रात तू
दुश्मन की सीमा में जा लिया

बलवान बोला सर जी! ये बताओ
कि वो किस से पूछ के आये थे
सोये फौजियों के सिर काटने का
फरमान कोन से बाप से लाये थे

बलवान का जवाब में सवाल दागना
अफसरों को पसंद नही आया
और बीच वाले अफसर ने लिखने
के लिए जल्दी से पेन उठाया

एक बोला बलवान हमें ऊपर
जवाब देना है और तेरे काटे हुए
सिर का पूरा हिसाब देना है

तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी
अंतरास्ट्रीय बिरादरी में तूने थू थू करवा दी

बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया
आँख में आया आंसू भीतर को ही बह गया

बोला साहब जी! अगर कोई
आपकी माँ की इज्जत लूटता हो
आपकी बहन बेटी या पत्नी को
सरेआम मारता कूटता हो

तो आप पहले अपने बाप का
हुकमनामा लाओगे ?
या फिर अपने घर की लुटती
इज्जत खुद बचाओगे?

अफसर नीचे झाँकने लगा
एक ही जगह पर ताकने लगा

बलवान बोला साहब जी गाँव का
ग्वार हूँ बस इतना जानता हूँ
कौन कहाँ है देश का दुश्मन सरहद
पे खड़ा खड़ा पहचानता हूँ

सीधा सा आदमी हूँ साहब !
मै कोई आंधी नहीं हूँ
थप्पड़ खा गाल आगे कर दूँ
मै वो गांधी नहीं हूँ

अगर सरहद पे खड़े होकर गोली
न चलाने की मुनादी है
तो फिर साहब जी ! माफ़ करना
ये काहे की आजादी है

सुनों साहब जी ! सरहद पे
जब जब भी छिड़ी लडाई है
भारत माँ दुश्मन से नही आप
जैसों से हारती आई है

वोटों की राजनीति साहब जी
लोकतंत्र का मैल है
और भारतीय सेना इस राजनीति
की रखैल है

ये क्या हुकम देंगे हमें जो
खुद ही भिखारी हैं
किन्नर है सारे के सारे न कोई
नर है न नारी है

ज्यादा कुछ कहूँ तो साहब जी
दोनों हाथ जोड़ के माफ़ी है
दुश्मन का पेशाब निकालने को
तो हमारी आँख ही काफी है

और साहब जी एक बात बताओ
वर्तमान से थोडा सा पीछे जाओ

कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब
वाला यार जसवंत खोया था
आप गवाह हो साहब जी उस वक्त
मै बिल्कुल भी नहीं रोया था

खुद उसके शरीर को उसके गाँव
जाकर मै उतार कर आया था
उसके दोनों बच्चों के सिर साहब जी
मै पुचकार कर आया था

पर उस दिन रोया मै जब उसकी
घरवाली होंसला छोड़ती दिखी
और लघु सचिवालय में वो चपरासी
के हाथ पांव जोड़ती दिखी

आग लग गयी साहब जी दिल
किया कि सबके छक्के छुड़ा दूँ
चपरासी और उस चरित्रहीन
अफसर को मै गोली से उड़ा दूँ

एक लाख की आस में भाभी
आज भी धक्के खाती है
दो मासूमो की चमड़ी धूप में
यूँही झुलसी जाती है

और साहब जी ! शहीद जोगिन्दर
को तो नहीं भूले होंगे आप
घर में जवान बहन थी जिसकी
और अँधा था जिसका बाप

अब बाप हर रोज लड़की को
कमरे में बंद करके आता है
और स्टेशन पर एक रूपये के
लिए जोर से चिल्लाता है

पता नही कितने जोगिन्दर जसवंत
यूँ अपनी जान गवांते हैं
और उनके परिजन मासूम बच्चे
यूँ दर दर की ठोकरें खाते हैं..

भरे गले से तीसरा अफसर बोला
बात को और ज्यादा न बढाओ
उस रात क्या- क्या हुआ था बस
यही अपनी सफाई में बताओ

भरी आँखों से हँसते हुए बलवान
बोलने लगा
उसका हर बोल सबके कलेजों
को छोलने लगा

साहब जी ! उस हमले की रात
हमने सन्देश भेजे लगातार सात

हर बार की तरह कोई जवाब नही आया
दो जवान मारे गए पर कोई हिसाब नही आया

चौंकी पे जमे जवान लगातार
गोलीबारी में मारे जा रहे थे
और हम दुश्मन से नहीं अपने
हेडक्वार्टर से हारे जा रहे थे

फिर दुश्मन के हाथ में कटार देख
मेरा सिर चकरा गया
गुरमेल का कटा हुआ सिर जब
दुश्मन के हाथ में आ गया

फेंक दिया ट्रांसमीटर मैंने और
कुछ भी सूझ नहीं आई थी
बिन आदेश के पहली मर्तबा सर !
मैंने बन्दूक उठाई थी

गुरमेल का सिर लिए दुश्मन
रेखा पार कर गया
पीछे पीछे मै भी अपने पांव
उसकी धरती पे धर गया

पर वापिस हार का मुँह देख के
न आया हूँ
वो एक काट कर ले गए थे
मै दो काटकर लाया हूँ

इस ब्यान का कोर्ट में न जाने
कैसा असर गया
पूरे ही कमरे में एक सन्नाटा
सा पसर गया

पूरे का पूरा माहौल बस एक ही
सवाल में खो रहा था
कि कोर्ट मार्शल फौजी का था
या पूरे देश का हो रहा था ?

Dosto, Ek Baar.. इसे इतना फैला दो की सारे नेता को कुछ शर्म आयेे की फौजियों का आत्मविश्वास न गिराए

friends प्यार की शेर शयरी बहुत शेयर किया हैं.... जरा इसे भी इतना शेयर कर दो की
जाग उठे आज के नेता और जवान की रूह देश के लिए।।

जय हिन्द..!!!

गुरुवार, 2 जुलाई 2015

लाख टके की बात

  लाख टके की बात 

"दरवाज़े बड़े करवा लिए हैं अब हमने भी अपने आशियानेके...

क्योंकि कुछ दोस्तों का कद बड़ा हो गया है चार पैसे कमाकर..!!".  

नींद और मौत में क्या फर्क है...?

नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....

"नींद आधी मौत है"

और

"मौत मुकम्मल नींद है"

जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....

औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।

सुबहे होती है , शाम होती है

उम्र यू ही तमाम होती है ।

कोई रो कर दिल बहलाता है

और

कोई हँस कर दर्द छुपाता है.

क्या करामात है कुदरत की,

ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है

और मुर्दा तैर के दिखाता है...

बस के कंडक्टर सी हो गयी है
जिंदगी ।

सफ़र भी रोज़ का है और
जाना भी कही नहीं।.....

सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !

छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !

पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !

घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !

शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !

खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !

कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !

दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !

लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं

जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं

खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं

और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..

एक रूपया एक लाख नहीं होता ,

मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता

हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं …

संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया है

मंजिल मिले ना मिले

मंजिल मिले ना मिले
ये तो मुकदर की बात है!
हम कोशिश भी ना करे
ये तो गलत बात है...
जिन्दगी जख्मो से भरी है,
वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से,
फिलहाल दोस्तों के साथ जिन्दगी जीना सीख लो..!!