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शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

इस जीवन की चादर मे


सांसों के ताने बाने हैं,
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं.

क्यों सोचे आगे क्या होगा,
अब कल के कौन ठिकाने हैं,
ऊपर बैठा वो बाजीगर ,
जाने क्या मन में ठाने है.

चाहे जितना भी जतन करे,
भरने का दामन तारों से,
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है.

ये बेटियां

●~~"बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर"~~●
~~~~
..बेटियाँ..
..पीहर आती है..
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए..
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं..
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर..
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
~~~
..बेटियाँ..
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं..
..घर भर की नम आँखों में..
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
Dear Papa....

"बेटी" बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,
क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी,
"कहते" है आज नहीं तो कल तू "पराई" होगी,
"देके" जनम "पाल-पोसकर" b
जिसने हमें बड़ा किया,
और "वक़्त" आया तो उन्ही हाथो ने हमें "विदा" किया,
"टूट" के बिखर जाती हे हमारी "ज़िन्दगी " वही,
पर फिर भी उस "बंधन" में प्यार मिले "ज़रूरी" तो नहीं,
क्यों "रिश्ता" हमारा इतना "अजीब" होता है,
क्या बस यही "बेटियो" का "नसीब" होता हे??

"Papa" Says"...
**************
बहुत "चंचल" बहुत
"खुशनुमा " सी होती है "बेटिया".
"नाज़ुक" सा "दिल" रखती है "मासूम" सी होती है "बेटिया".
"बात" बात पर रोती है
"नादान" सी होती है "बेटिया".
"रेहमत" से "भरपूर"
"खुदा" की "Nemat" है "बेटिया".
"घर" महक उठता है
जब "मुस्कराती" हैं "बेटिया".
"अजीब" सी "तकलीफ" होती है\
जब "दूसरे" घर जाती है "बेटियां".
"घर" लगता है सूना सूना "कितना" रुला के "जाती" है "बेटियां"
"ख़ुशी" की "झलक"
"बाबुल" की "लाड़ली" होती है "बेटियां"
ये "हम" नहीं "कहते"
यह तो "रब " कहता है. . क़े जब मैं बहुत खुश होता हु तो "जनम" लेती है
"प्यारी सी बेटियां"
*******************

सही कहा है भाई

पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।

टूटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।

काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।

अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।

दुनिया में सब चीज
      मिल जाती है,....
      केवल अपनी गलती
      नहीं मिलती.....

भगवान से वरदान माँगा
     कि दुश्मनों से
         पीछा छुड़वा दो,
            अचानक दोस्त
                कम हो गए...

" जितनी भीड़ ,
     बढ़ रही
       ज़माने में..।
         लोग उतनें ही,
           अकेले होते
             जा रहे हैं...।।।

इस दुनिया के
   लोग भी कितने
      अजीब है ना ;

          सारे खिलौने
             छोड़ कर
                जज़बातों से
                   खेलते हैं...

किनारे पर तैरने वाली
   लाश को देखकर
      ये समझ आया...
         बोझ शरीर का नही
            साँसों का था....

दोस्तो के साथ
   जीने का इक मौका
      दे दे ऐ खुदा...
         तेरे साथ तो
            हम मरने के बाद
              भी रह लेंगे....

“तारीख हज़ार
    साल में बस इतनी
       सी बदली है…
          तब दौर
             पत्थर का था
                अब लोग
                   पत्थर के हैं..."

☝ Thought of the day ☝

    स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
    नर्क का डर छोड़ दो,
    कौन जाने क्या पाप ,
    क्या पुण्य,
    बस...
    किसी का दिल न दुखे
    अपने स्वार्थ के लिए,
    बाकी सब कुदरत पर छोड़ दो।

वो पतंगे

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

वो पतंगे

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी आसमान से हंसती हुए हमे बहोत दौड़ाती थी...
शायद वही जिंदगी की दौड़ थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...

इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ

इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ

मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं तेरे आँगन में उजाला जाएँ

गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन
पहले मयखाने की हालात तो संभाली जाए

खाली वक्तों में कहीं बैठ के रोलें यारों
फुरसतें हैं तो समंदर ही खंगाले जाए

खाक में यु ना मिला ज़ब्त की तौहीन ना कर
ये वो आसूं हैं जो दुनिया को बहा ले जाएँ

हम भी प्यासे हैं ये अहसास तो हो साकी को
खाली शीशे ही हवाओं में उछाले जाए

आओ शहर में नए दोस्त बनाएं राहत
आस्तीनों में चलो साँप ही पाले जाए

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

पति के लिए पत्नी क्यों जरुरी है?

आखिर पति के लिए
पत्नी क्यों जरुरी है??
मानो न मानो
.
.
जब तुम दुःखी हो तो वो तुम्हे
कभी अकेला नहीं छोङेगी।।
.
.
.
हर वक्त, हर दिन तुम्हे तुम्हारे अन्दर
की बुरी आदतें छोङने को कहेगी।।
.
.
हर छोटी छोटी बातों पर तुमसे
झगङा करेगी, परंतु ज्यादा देर
गुस्सा नहीं रह पाती।।
.
.
तुम्हें आथिॅक मजबूती देगी।।
.
.
.
कुछ भी अच्छा ना हो फिर
भी तुम्हें यही कहेगी- चिन्ता मत
करो, सब ठीक हो जायेगा।।
.
.
.
तुम्हें समय का पाबंद बनायेगी।।
.
.
.
ये जानने के लिए कि तुम क्या कर
रहे हो, दिन में 15 बार फोन करके
हाल पूछेगी।।
.
.
.
कभी कभी तुम्हे खीझ
भी आयेगी पर सच ये है कि तुम कुछ
कर नहीं पाओगे।।
..
..
चूंकि पत्नी ईश्वर का बना एक
स्पेशल उपहार है, इसलिए
उसकी उपयोगिता जानो और
उसकी देखभाल करो।।
ये मैसेज हर विवाहित पुरुष के
मोबाइल मे होना चाहिये
ताकि उन्हें
अपनी पत्नी की कीमत
का अंदाजा हो

DAUGHTER TO FATHER

DAUGHTER TO FATHER:

Mujhe Itnaa Pyaaar Naa Do papa,

Kal Jane Ye Mujhe Naseeb Na Ho

Ye Jo Maatha Chuuma Karte Ho,

Kal Iss Par Shikkan Azeeb Na Ho

Mein Jab Bhi Roti Hoon papa,

Tum Aansun Poncha Karte Ho

Mujhey Itni Door Na Chhor Aana,

Mein Roun Or Tum Qareeb Na Ho

Mere Naaz Uthaate Ho papa,

Mujhe Laad Ladate Ho papa

Meri Chotti-2 Khwahish Parr,

Tum Jaan Lootate Ho papa

Kal Aisaa Naa Ho Ek Nagri Meinn,

Mein Tanha Tum Ko Yaad Karun
Aur Ro Ro Kar Fariyaaad Karun,

Aey Bhagwan Mere papa Saa Koi Pyaaar Jataane
Wala Ho

Mere Naaz Uthane Wala Ho .
~~~~~~~~~~~~~~~~
Reply Of FATHER.....!!
Jo Soch Rahi Ho Tum Beti Wo Sab To Ek Maya Hai

Koi Baap Apni Beti Ko Kab Jaane Se Rok Paya Hai

Sach Kahte Hai Duniyaan Wale
Beti To Dhann Parayaa Hai

Gharr Gharr Ki Yahin Kahaani Hai

Duniyaan Ki Ye Reet Puraani Hai

Har Baap Nibhaaata Aaya Hai

Tere Baap Ne Bhi Nibhani Hai...!!  

वो पिता होता है


वो पिता होता है
वो पिता ही होता है

जो अपने बच्चो को अच्छे विद्यालय में पढ़ाने के लिए दौड भाग करता है...
उधार लाकर donation भरता है, जरूरत पड़ी तो किसी के भी हाथ पैर भी पड़ता है
....... वो पिता होता हैं ।।
हर कोलेज में साथ साथ घूमता है, बच्चे के रहने के लिए होस्टल ढुँढता है...
स्वतः फटे कपडे पहनता है और बच्चे के लिए नयी जीन्स टी-शर्ट लाता है
.......... वो पिता होता है ।।
खुद खटारा फोन वपरता है पर बच्चे के लिए स्मार्ट फोन लाता है.
बच्चे की एक आवाज सुनने के लिए, उसके फोन  में पैसा भरता है
....... वो पिता होता है ।।
बच्चे के प्रेम विवाह के निर्णय पर वो नाराज़ होता है
और गुस्से में कहता है सब ठीक से देख लिया है ना,
"आपको कुछ समजता भी है?" यह सुन कर बहुत रोता है
.......वो पिता होता हैं ।।
बेटी की विदाई पर दिल की गहराई से रोता है,
मेरी बेटी का ख्याल रखना हाथ जोड़ कर कहता है
......... वो पिता होता है ।।
पिता का प्यार दिखता नहीं है सिर्फ महसूस किया जाता है।
माँ पर तो बहुत कविता लिखी गयी है पर पिता पर नहीं। पिता का प्यार क्या है दुनिया को बता दो।  सहमत हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा forward करे।��

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ...

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!

भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
.
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
.

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.

"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।

TRUE LINES.....

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई

मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
कुछ जिद्दी, कुछ नक् चढ़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अब अपनी हर बात मनवाने लगी है
हमको ही अब वो समझाने लगी है
हर दिन नई नई फरमाइशें होती है
लगता है कि फरमाइशों की झड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

अगर डाटता हूँ तो आखें दिखाती है
खुद ही गुस्सा करके रूठ जाती है
उसको मनाना बहुत मुश्किल होता है
गुस्से में कभी पटाखा कभी फूलझड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

जब वो हस्ती है तो मन को मोह लेती है
घर के कोने कोने मे उसकी महक होती है
कई बार उसके अजीब से सवाल भी होते हैं
बस अब तो वो जादू की छड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है

घर आते ही दिल उसी को पुकारता है
सपने सारे अब उसी के संवारता है
दुनियाँ में उसको अलग पहचान दिलानी है
मेरे कदम से कदम मिलाकर वो खड़ी हो गई है
मेरी बेटी थोड़ी सी बड़ी हो गई है
This ones for all who have been blessed with most beautiful daughter.

बेटियाँ सब के नसीब में कहाँ होती है
रब को जो घर पसंद आए वहाँ होती है

संयुक्त परिवार


वो पंगत में बैठ के
निवालों का तोड़ना,
वो अपनों की संगत में
रिश्तों का जोडना,

वो दादा की लाठी पकड़
गलियों में घूमना,
वो दादी का बलैया लेना
और माथे को चूमना,

सोते वक्त दादी पुराने
किस्से कहानी कहती थीं,
आंख खुलते ही माँ की
आरती सुनाई देती थी,

इंसान खुद से दूर
अब होता जा रहा है, 
वो संयुक्त परिवार का दौर
अब खोता जा रहा है।

माली अपने हाथ से
हर बीज बोता था, 
घर ही अपने आप में
पाठशाला होता था,

संस्कार और संस्कृति
रग रग में बसते थे,
उस दौर में हम
मुस्कुराते नहीं
खुल कर हंसते थे।

मनोरंजन के कई साधन
आज हमारे पास है, 
पर ये निर्जीव है
इनमें नहीं साँस है,

फैशन के इस दौर में
युवा वर्ग बह गया,
राजस्थान से रिश्ता बस
जात जडूले का रह गया।

ऊँट आज की पीढ़ी को
डायनासोर जैसा लगता है,
आँख बंद कर वह
बाजरे को चखता है।

आज गरमी में एसी
और जाड़े में हीटर है,
और रिश्तों को
मापने के लिये
स्वार्थ का मीटर है।
      
वो समृद्ध नहीं थे फिर भी
दस दस को पालते थे,   
खुद ठिठुरते रहते और
कम्बल बच्चों पर डालते थे।

मंदिर में हाथ जोड़ तो
रोज सर झुकाते हैं,
पर माता-पिता के धोक खाने
होली दीवाली जाते हैं।

मैं आज की युवा पीढी को
इक बात बताना चाहूँगा, 
उनके अंत:मन में एक
दीप जलाना चाहूँगा

ईश्वर ने जिसे जोड़ा है
उसे तोड़ना ठीक नहीं,
ये रिश्ते हमारी जागीर हैं
ये कोई भीख नहीं।

अपनों के बीच की दूरी
अब सारी मिटा लो,
रिश्तों की दरार अब भर लो
उन्हें फिर से गले लगा लो।

अपने आप से
सारी उम्र नज़रें चुराओगे,
अपनों के ना हुए तो
किसी के ना हो पाओगे
सब कुछ भले ही मिल जाए
पर अपना अस्तित्व गँवाओगे

बुजुर्गों की छत्र छाया में ही
महफूज रह पाओगे।
होली बेईमानी होगी
दीपावली झूठी होगी,
अगर पिता दुखी होगा
और माँ रूठी होगी।।

अन्तःकरण को छूने वाली है ये कविता।

अन्त में हम दोनों ही होंगे


Nice one dedicated to all married couples..

अन्त में हम दोनों ही होंगे !!!.

भले ही झगड़े, गुस्सा करे,
एक दूसरे पर टूट पड़े
एक दूसरे पर दादागिरि करने के
लिये, अन्त में हम दोनों ही होंगे

जो कहना हे, वह कह ले,
जो करना हे, वह कर ले
एक दुसरे के चश्मे और
लकड़ी ढूँढने में,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

मैं रूठूं तो तुम मना लेना,
तुम रूठो ताे मै मना लूँगा
एक दुसरे को लाड़ लड़ाने के लिये,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

आँखे जब धुँधली होंगी,
याददाश्त जब कमजोर होंगी
तब एक दूसरे को एक दूसरे
मे ढूँढने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

घुटने जब दुखने लगेंगे,
कमर भी झुकना बंद करेगी
तब एक दूसरे के पांव के नाखून काटने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

"मेरी हेल्थ रिपोर्ट एक दम नॉर्मल
है, आइ एम आलराईट
ऐसा कह कर ऐक दूसरे को
बहकाने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे

साथ जब छूट जायेगा,
बिदाई की घड़ी जब आ जायेगी
तब एक दूसरे को माफ करने के लिए,
अन्त में हम दोनों ही होंगे......

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

कुत्ते की इंसानियत

एक कब्र पर लिखा था...

किस को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो...,
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,और दफनाने वाले भी अपने थे..!

कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया
एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला
कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!
नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था
चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था
फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील
बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है
इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है
अब ना देखो किसी की बाट
आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
जज की आँख हो गयी लाल
तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल
तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो
फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला
हाँ, मैंने वो लड़की खायी है
अपनी कुत्तानियत निभाई है
कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना
माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना
पर मैं दया-धर्म से दूर नही
खाई तो है, पर मेरा कसूर नही
मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी
और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी
जब मैं उस कन्या के गया पास
उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास
जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी
कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी
मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था
जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था
मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई
पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई
चल मेरे साथ, उसे लेकर आ
भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला
माँ सुनते ही रोने लगी
अपने दुख सुनाने लगी
बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को
तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को
मेरी सासू मारती है तानों की मार
मुझे ही पीटता है, मेरा भतार
बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार
लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही
कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही
वंश की तो तूने काट दी बेल
जा खत्म कर दे इसका खेल
माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी
इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी
कुत्ते का गला भर गया
लेकिन बयान वो पूरे बोल गया....!
बोला, मैं फिर उल्टा आ गया
दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया
वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी
मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी
कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर
फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर
मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी
यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी
हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम
परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम
जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो
और खुद को इंसान कहलवाते हो
मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान
जो समाज इससे नफरत करता है
कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है
वहां से तो इसका जाना अच्छा
इसका तो मर जान अच्छा
तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते
लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!!

अलबेली सुबह

उषा-मंजूषा से किरणों का कारवां,
निकसित यह है, निमित्त उजाला!!

प्रभा रानी की अलका लहरी!
ओंस कण वृष्टी चहूंओर फहरी!!

ओज की खोज का अभिनव अरसा!
हर्षित हर कोई, कतरा भी हरसा!!

सौन्दर्यवर्धिनी,सुखदायिनी,सहजसलीला सुबह की बधाई.
         (सु प्रभात)

मुलाकात पूरी है और मैं हूँ

मुलाकात  पूरी है  और  मैं  हूँ
मगर बात अधूरी है और मैं हूँ

सफर तो कब का पूरा हो गया मगर
वही की वही दूरी है और मैं हूँ

ताब मेरे जुनूँ की केसे बयाँ करुँ         
एक अजब बेखुदी है और मैं हूँ 

सन्नाटोँ का शोर भी कब का थम गया
बस भीतर तक खामोशी है और मैं हूँ

न पूछ कि हादसो ने केसे संवारा मुझको
आंख भरी भरी सी है और मैं हूँ

फक़त तेरे एतबार पे जिंदा हूँ या रब
एक तेरा ही यकीं है और .....

नफरतों का असर देखो....

नफरतों का असर  देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.

मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
                                                                                                                                                ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं

सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..

न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.

अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......

में अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....

याद आती है तो ज़रा खो जाते है.....

याद आती है तो ज़रा खो जाते है,
आंसू आँखों में उतर आये तो ज़रा रो लेते है,

नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन,
       वो ख्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते है.

ज़िन्दगी जैसे एक सज़ा सी हो गयी है,
ग़म के सागर में कुछ इस कदर खो गयी है,

तुम आ जाओ वापिस यह गुज़ारिश है मेरी,
        शायद मुझे तुम्हारी आदत सी हो गयी है.

सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई,

जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
      मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई.

हमारा अंदाज कुछ ऐसा है कि
जब हम बोलते हैँ तो बरस जाते हैँ..
और

जब हम चुप रहते हैँ तो लोग तरस जाते हैँ..!!

अपना बना कर छोड दिया .....

उसने कहा था कि वो मुझे अपना बना कर ही छोडेगी
       और उसने वही किया....
अपना बना कर छोड दिया

मुझें छोड़कर वो खुश हैं तो शिकायत कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी ‪

आज इतना जहर पिला दो मुझे कि,
मेरी सांसे रुक जाए,
सुना है सांसे रुक जाने पर,
रूठे हुए यार भी मिलने आते है..!!

लगता है कि उनको माँ-बाप ने खिलौने नहीं दिलाए
      तभी तो बडी़ होकर पगली हमारे दिल से ही खेल गई.....

मेरे दिल ने अपनी वसीयत मैं लिखा हैं...
मेरा  कफन उसी‪ दुकान‬ का लाना,
जिससे वो अपना दुपट्टा  खरीदती हैं...!!

ज़िन्दगी हसीन है , ज़िन्दगी से प्यार करो …..

ज़िन्दगी हसीन है , ज़िन्दगी से प्यार करो ….. हो रात तो सुबह का इंतज़ार करो ….. वो पल भी आएगा, जिस पल का इंतज़ार हैं आपको…. बस रब पर भरोसा और वक़्त पे ऐतबार करो …

इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है, इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है, इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी, पर दोस्ती पर, मेरा इश्क भी कुर्बान है

दिल मे एक शोर सा हो रहा है. बिन आप के दिल बोर हो रहा है. बहुत कम याद करते हो आप हमे. कही ऐसा तो नही की… ये दोस्ती का रिस्ता कंज़ोर हो रा है.

सर्दी की धूप

प्रिय दिसंबर,
तुम कृपा वापिस आ जाओ, तुम तो सिर्फ नहाने नहीं देते थे। जनवरी
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तो हाथ भी धोने नहीं दे रहा।...

आजकल तो धूप भी मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की  जैसी हो गई है .....

दिखती कम है .
और जब दिखती है तो सारा मोहल्ला बाहर निकल आता है
❤️

दिल तोड़ना सजा है ......

छोटी सी बात पे लोग रूठ जाते हैं;
हाथ उनसे अनजाने में छूट जाते हैं;
कहते हैं बड़ा नाज़ुक है अपनेपन का यह रिश्ता;
इसमें हँसते-हँसते भी दिल टूट जाते हैं।

दिल तोड़ना सजा है मुहब्बत की! दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की! मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत! और जो बिन मांगे कुर्बान हो जाये वो है दोस्ती!

क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का....!!

किसी काम से आये थे, !! किसी काम के ना रहे....!!

जनाज़ा इसीलिए भारी था उस आशिक का..

जनाज़ा इसीलिए भारी था उस आशिक का...!!
क्योकि
वह सारे अरमान साथ लेकर चला गया...!!

अब किसी और से मोहब्बत कर लूं तो शिकायत मत करना
ये बुरी आदत भी मुझे तुमसे ही लगी है..

अज़ीब होता है मेरे साथ,
उदास जब भी तुम हो तो कुसूर मुझे अपना ही लगता है...!

मेरी आदत नही...

किसी को तकलीफ देना
मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना
मेरी आदत नही...!

मैं अपने गम में रहता हूँ
नबाबों की तरह,
परायी ख़ुशी के पास जाना
मेरी आदत नही...!

सबको हँसता ही
देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी
रुलाना मेरी आदत नही...!

बांटना चाहता हूँ तो बस
प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना
मेरी आदत नही...!

ज़िदगी मिट जाये
किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की
यूँ जीना मेरी आदत नही...!

सबसे दोस्त की हैसियत से
बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ
मेरी आदत नही...!

दोस्ती होती है

दिलों के चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना
मेरी आदत नही...

तलाश कर मेरी कमी....

तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल मे......
एक बार दर्द हो तो समझ लेना के मुहब्बत अभी बाकी है।।।

कभी संभले तो कभी बिखरते नज़र आये हम,
ज़िंदगी के हर मोड़ पर ख़ुद में सिमटते आये हम...

यू तो ज़माना कभी ख़रीद ही नहीं सकता मुझे,
मगर प्यार के दो लफजो से सदा बिकते आये हम !!!

वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं;
कहाँ से लायें लफ्ज़ जब हम को मिलते ही नहीं;
दर्द की जुबान होती तो बता देते शायद;
वो ज़ख्म कैसे दिखायें जो दिखते ही नहीं।